Tuesday, January 4, 2011

हनुमत-स्तुति: राग धनाश्री (विनय-पत्रिका: गोस्वामीतुलसीदास)


जनवरी ११, २०११

जयति निर्भरानंद-संदोह कपिकेसरी, केसरी-सुवन भुवनैकभर्ता | दिव्यभूम्यंजना-मंजुलाकर-मणे, भक्त-संतापहर्ता || १

जयति धर्मार्थ-कामापवर्गद विभो, ब्रम्हलोकादि-वैभव-विरागी | वचन-मानस-कर्म सत्य-धर्मव्रती, जानकीनाथ-चरणानुरागी || २

जयति बिहगेश-बलबुद्धि-बेगाति-मद-मथन, मनमथ-मथन, उर्ध्वरेता | महानाटक-निपुन, कोटि-कविकुल-तिलक, गानगुन-गर्व-गन्धर्व-जेता || ३

जयति मंदोदरी-केश-कर्षण, विद्यमान दशकंठ भट-मुकुट मानी | भूमिजा-दु:ख-संजात रोषांतकृत-जातनाजंतु कृत जातुधानी || ४

जयति रामायण-श्रवण-संजात रोमांच, लोचन सजल, शिथिल वाणी | रामपदपद्म-मकरंद-मधुकर, पाहि, दास तुलसी शरण, शूलपाणी || ५



जनवरी ४, २०११

जयति वात-संजात, विख्यात विक्रम, बृहदबाहू, बलबिपुल, बालधिबिसाला | जातरूपाचलाकारविग्रह, लसल्लोम विद्युल्लता ज्वालमाला ||१

जयति बालार्क वर-वदन, पिंगल-नयन, कपिश-कर्कश-जटाजूटधारी | विकट भृकुटी, वज्र दशन नख, वैरी-मदमत्त-कुंजर-पुंज-कुंजरारी ||२


जयति भीमार्जुन-व्यालसूदन-गर्वहर, धनञ्जय-रथ-त्रान-केतु | भीष्म-द्रोण-कर्णादि-पालित, कालदृक सुयोधन-चामू-निधन-हेतु || ३


जयति गजराजदातार, हन्तार संसार-संकट, दनुज-दर्पहारी | ईति-अति-भीति-गृह-प्रेत-चौरानल व्याधिबाधा-शमन घोर मारी || ४


जयति निगमागम व्याकरण करणालिपि, काव्यकौतुक-कला-कोटि-सिंधो | सामगायक, भक्त-कामदायक, वामदेव, श्रीराम-प्रिय-प्रेम बंधो || ५

जयति घर्मांशु-संदग्ध-संपाती-नवपक्ष-लोचन-दिव्य-देह्दाता | कालकलि-पापसंताप-संकुल सदा, प्रनत तुलसीदास तात-माता || ६


दिसम्बर २८, २०१०

जयति मर्कटाधीश, मृगराज-विक्रम, महादेव, मुद-मंगलालय, कपाली |

मोह-मद-क्रोध-कामादि-खल-संकुल, घोर संसार-निशि किरणमाली||१

जयति लसदंजनादितिज, कपि-केसरी-कश्यप-प्रभव, जगदार्तीहर्ता |

लोक-लोकप-कोक-कोकनद-शोकहर, हंस हनुमान कल्याणकर्ता || २


जयति सुविशाल-विकराल-विग्रह,वज्रसार सर्वांग भुजदंड भारी |

कुलिषनख, दशनवर लसत ,बालधिबृहद, वैरी-शस्त्रास्तधर कुधरधारी || ३


जयति जानकी-शोच-संताप-मोचन, रामलक्ष्मणानंद-वारिज-विकासी |

कीष-कौतुक-केलि-लूम-लंका-दहन, दालान कानन तरुण तेजरासी || ४


जयति पातोधि-पाषाण-जलयांकर, यातुधान-प्रचुर-हर्ष-हाता |

दुष्ट रावण-कुम्भकर्ण-पाकारिजित-मर्मभित, कर्म-परिपाक-दाता || ५


जयति भुवनैकभूषण, विभीषणवरद, विहित कृत राम-संग्राम साका |

पुष्पकारूड़ सौमित्री-सीता-सहित, भानु-कुलभानु-कीरति-पताका || ६


जयति पर-यन्त्रमंत्राभिचार-ग्रसन, कारमन-कूट-कृत्यादि-हंता |

शाकिनी-डाकिनी-पूतना-प्रेत-वेताल-भूत-प्रमथ-यूथ-यंता || ७


जयति वेदान्तविद विविध-विद्या-विषद, वेड-वेदांगविद ब्रम्हवादी |

ज्ञान-विज्ञानं-वैराग्य-भाजन विभो, विमल गुन गनती शुकनारदादि || ८


जयति काल-गुन-कर्म-माया-मथन, निश्छलज्ञान,वृत-सत्यरत, धर्मचारी |

सिद्ध-सुरवृंद-योगीन्द्र-सेवित सदादास तुलसी प्रनत भय-तमारी || ९


दिसम्बर २१, २०१०

जयति मंगलागार, संसार भारापहर, वानाराकारविग्रह पुरारी | राम-रोषानल-ज्वाल्माला-मिष ध्वांतचर-सलभ-संहारकारी || 1

जयति मरुदंजनामोद-मंदिर, नतग्रीव सुग्रीव-दु:खैकबंधो | यातुधानोधत-क्रुद्ध-कालाग्निहर, सिद्ध-सुर-सज्जनानंद-सिंधो||२

जयति रुद्राग्रणी, विश्व-वंद्याग्रणी, विश्वविख्यात-भट-चक्रवर्ती | सामगाताग्रणी, कामजेताग्रणी, रामहित, रामभक्तानुवर्ती || ३

जयति संग्रामजय, रामसंदेहसर, कौशला-कुशल-कल्याणभाषी | राम-विरहार्क-संतप्त-भरतादि-नरनारी-शीतलकरन कल्पशाषी || ४

जयति सिंघसनासीन सीतारमण, निरखि, निर्भरहरष नृत्यकारी | राम संभ्राज शोभा-सहित सर्वदा तुलसीमानस-रामपुर-विहारी || ५


दिसम्बर १४, २०१०

जयत्यंजनी-गर्भ-अम्बोधि-सम्भूत विधु विबुध-कुल-कैरवानंदकारी |

केसरी-चारु-लोचन-चकोरक-सुखद, लोकगन-शोक-संतापहारी || १

जयति जय बालकपि केलि-कौतुक उदित-चंडकर-मंडल-ग्रासकर्त्ता |

राहू-रवि-शक्र-पवि-गर्व-खर्वीकरण शरण-भयहरण जय भुवन-भर्त्ता || २

जयति रणधीर, रघुवीरहित, देवमणि, रूद्र-अवतार, संसार-पाता |

विप्र-सुर-सिद्ध-मुनि-आशिषाकारवपुष, विमलगुण, बुद्धि-वारिधि-विधाता || ३

जयति सुग्रीव-ऋक्षादी-रक्षण-निपुण, बालि-बलशालि-बध-मुख्यहेतु |

जलधि-लंघन सिंह सिंहिका-मद-मथन, रजनीचर-नगर-उत्पात-केतु || ४

जयति भूनन्दिनी-शोच-मोचन विपिन-दलन घननादवश विगतशंका |

लूम लीलाSनल-ज्वालमालाकुलित होलिकाकरण लंकेश-लंका || ५

जयति सौमित्रि-रघुनंदनानंद्कर, ऋक्ष-कपि-कटक-संघट-विधायी |

बद्ध-वारिधि-सेतु अमर-मंगल-हेतु, भानुकुलकेतु-रण-विजयदायी || ६

जयति जय वज्रतनु दशन नख मुख विकट, चंड-भुजदंड तरु-शैल-पानी |

समर-तैलिक-यन्त्र तिल-तमीचर-निकर, पेरी डारे सुभट घाली घानी || ७

जयति दशकंठ-घटकर्ण-वारिद-नाद-कदन-कारन, कालनेमि-हंता |

अघटघटना-सुघट सुघट-विघटन विकट, भूमि-पाताल-जल-गगन-गंता || ८

जयति विश्व-विख्यात बानैत-विरुदावली, विदुष बरनत वेद विमल बानी |

दास तुलसी त्रास शमन सीतारमण संग शोभित राम-राजधानी || ९