जनवरी ११, २०११
जयति निर्भरानंद-संदोह कपिकेसरी, केसरी-सुवन भुवनैकभर्ता | दिव्यभूम्यंजना-मंजुलाकर-मणे, भक्त-संतापहर्ता || १
जयति धर्मार्थ-कामापवर्गद विभो, ब्रम्हलोकादि-वैभव-विरागी | वचन-मानस-कर्म सत्य-धर्मव्रती, जानकीनाथ-चरणानुरागी || २
जयति बिहगेश-बलबुद्धि-बेगाति-मद-मथन, मनमथ-मथन, उर्ध्वरेता | महानाटक-निपुन, कोटि-कविकुल-तिलक, गानगुन-गर्व-गन्धर्व-जेता || ३
जयति मंदोदरी-केश-कर्षण, विद्यमान दशकंठ भट-मुकुट मानी | भूमिजा-दु:ख-संजात रोषांतकृत-जातनाजंतु कृत जातुधानी || ४
जयति रामायण-श्रवण-संजात रोमांच, लोचन सजल, शिथिल वाणी | रामपदपद्म-मकरंद-मधुकर, पाहि, दास तुलसी शरण, शूलपाणी || ५
जनवरी ४, २०११
जयति वात-संजात, विख्यात विक्रम, बृहदबाहू, बलबिपुल, बालधिबिसाला | जातरूपाचलाकारविग्रह, लसल्लोम विद्युल्लता ज्वालमाला ||१
जयति बालार्क वर-वदन, पिंगल-नयन, कपिश-कर्कश-जटाजूटधारी | विकट भृकुटी, वज्र दशन नख, वैरी-मदमत्त-कुंजर-पुंज-कुंजरारी ||२
जयति भीमार्जुन-व्यालसूदन-गर्वहर, धनञ्जय-रथ-त्रान-केतु | भीष्म-द्रोण-कर्णादि-पालित, कालदृक सुयोधन-चामू-निधन-हेतु || ३
जयति गजराजदातार, हन्तार संसार-संकट, दनुज-दर्पहारी | ईति-अति-भीति-गृह-प्रेत-चौरानल व्याधिबाधा-शमन घोर मारी || ४
जयति निगमागम व्याकरण करणालिपि, काव्यकौतुक-कला-कोटि-सिंधो | सामगायक, भक्त-कामदायक, वामदेव, श्रीराम-प्रिय-प्रेम बंधो || ५
जयति घर्मांशु-संदग्ध-संपाती-नवपक्ष-लोचन-दिव्य-देह्दाता | कालकलि-पापसंताप-संकुल सदा, प्रनत तुलसीदास तात-माता || ६
दिसम्बर २८, २०१०
जयति मर्कटाधीश, मृगराज-विक्रम, महादेव, मुद-मंगलालय, कपाली |
मोह-मद-क्रोध-कामादि-खल-संकुल, घोर संसार-निशि किरणमाली||१
जयति लसदंजनादितिज, कपि-केसरी-कश्यप-प्रभव, जगदार्तीहर्ता |
लोक-लोकप-कोक-कोकनद-शोकहर, हंस हनुमान कल्याणकर्ता || २
जयति सुविशाल-विकराल-विग्रह,वज्रसार सर्वांग भुजदंड भारी |
कुलिषनख, दशनवर लसत ,बालधिबृहद, वैरी-शस्त्रास्तधर कुधरधारी || ३
जयति जानकी-शोच-संताप-मोचन, रामलक्ष्मणानंद-वारिज-विकासी |
कीष-कौतुक-केलि-लूम-लंका-दहन, दालान कानन तरुण तेजरासी || ४
जयति पातोधि-पाषाण-जलयांकर, यातुधान-प्रचुर-हर्ष-हाता |
दुष्ट रावण-कुम्भकर्ण-पाकारिजित-मर्मभित, कर्म-परिपाक-दाता || ५
जयति भुवनैकभूषण, विभीषणवरद, विहित कृत राम-संग्राम साका |
पुष्पकारूड़ सौमित्री-सीता-सहित, भानु-कुलभानु-कीरति-पताका || ६
जयति पर-यन्त्रमंत्राभिचार-ग्रसन, कारमन-कूट-कृत्यादि-हंता |
शाकिनी-डाकिनी-पूतना-प्रेत-वेताल-भूत-प्रमथ-यूथ-यंता || ७
जयति वेदान्तविद विविध-विद्या-विषद, वेड-वेदांगविद ब्रम्हवादी |
ज्ञान-विज्ञानं-वैराग्य-भाजन विभो, विमल गुन गनती शुकनारदादि || ८
जयति काल-गुन-कर्म-माया-मथन, निश्छलज्ञान,वृत-सत्यरत, धर्मचारी |
सिद्ध-सुरवृंद-योगीन्द्र-सेवित सदादास तुलसी प्रनत भय-तमारी || ९
दिसम्बर २१, २०१०
जयति मंगलागार, संसार भारापहर, वानाराकारविग्रह पुरारी | राम-रोषानल-ज्वाल्माला-मिष ध्वांतचर-सलभ-संहारकारी || 1
जयति मरुदंजनामोद-मंदिर, नतग्रीव सुग्रीव-दु:खैकबंधो | यातुधानोधत-क्रुद्ध-कालाग्निहर, सिद्ध-सुर-सज्जनानंद-सिंधो||२
जयति रुद्राग्रणी, विश्व-वंद्याग्रणी, विश्वविख्यात-भट-चक्रवर्ती | सामगाताग्रणी, कामजेताग्रणी, रामहित, रामभक्तानुवर्ती || ३
जयति संग्रामजय, रामसंदेहसर, कौशला-कुशल-कल्याणभाषी | राम-विरहार्क-संतप्त-भरतादि-नरनारी-शीतलकरन कल्पशाषी || ४
जयति सिंघसनासीन सीतारमण, निरखि, निर्भरहरष नृत्यकारी | राम संभ्राज शोभा-सहित सर्वदा तुलसीमानस-रामपुर-विहारी || ५
दिसम्बर १४, २०१०
जयत्यंजनी-गर्भ-अम्बोधि-सम्भूत विधु विबुध-कुल-कैरवानंदकारी |
केसरी-चारु-लोचन-चकोरक-सुखद, लोकगन-शोक-संतापहारी || १
जयति जय बालकपि केलि-कौतुक उदित-चंडकर-मंडल-ग्रासकर्त्ता |
राहू-रवि-शक्र-पवि-गर्व-खर्वीकरण शरण-भयहरण जय भुवन-भर्त्ता || २
जयति रणधीर, रघुवीरहित, देवमणि, रूद्र-अवतार, संसार-पाता |
विप्र-सुर-सिद्ध-मुनि-आशिषाकारवपुष, विमलगुण, बुद्धि-वारिधि-विधाता || ३
जयति सुग्रीव-ऋक्षादी-रक्षण-निपुण, बालि-बलशालि-बध-मुख्यहेतु |
जलधि-लंघन सिंह सिंहिका-मद-मथन, रजनीचर-नगर-उत्पात-केतु || ४
जयति भूनन्दिनी-शोच-मोचन विपिन-दलन घननादवश विगतशंका |
लूम लीलाSनल-ज्वालमालाकुलित होलिकाकरण लंकेश-लंका || ५
जयति सौमित्रि-रघुनंदनानंद्कर, ऋक्ष-कपि-कटक-संघट-विधायी |
बद्ध-वारिधि-सेतु अमर-मंगल-हेतु, भानुकुलकेतु-रण-विजयदायी || ६
जयति जय वज्रतनु दशन नख मुख विकट, चंड-भुजदंड तरु-शैल-पानी |
समर-तैलिक-यन्त्र तिल-तमीचर-निकर, पेरी डारे सुभट घाली घानी || ७
जयति दशकंठ-घटकर्ण-वारिद-नाद-कदन-कारन, कालनेमि-हंता |
अघटघटना-सुघट सुघट-विघटन विकट, भूमि-पाताल-जल-गगन-गंता || ८
जयति विश्व-विख्यात बानैत-विरुदावली, विदुष बरनत वेद विमल बानी |
दास तुलसी त्रास शमन सीतारमण संग शोभित राम-राजधानी || ९